कपास पर इन दिनों सफेद मक्खी का प्रकोप हो गया है। इससे किसान परेशान व भयभीत हैं। उनका कहना है कि सफेद मक्खी अगर यूँ ही बढ़ती रही तो उनकी सारी फसल तबाह हो जाएगी। वहीं कृषि वैज्ञानिक किसानों को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचने के उपाय बता रहे हैं। उनका कहना है कि जहाँ सफेद मक्खी का प्रकोप है किसानों को घबराने की जरूरत नही है वे दवाई का प्रयोग करके अपने फसल बचा सकते हैं।
धरतीपुत्र परेशान है और हो भी क्यों न उनकी साल भर की मेहनत उनकी आंखों के आगे खराब होती दिख रही है। कपास की फसल पर सफेद मक्खी व हरा तिला लग रहा है जो दिन प्रतिदिन उनकी फसल को बर्बाद कर रहा है।
सफेद मक्खी पत्तों की निचली सतह से रस चूसती है, जिस कारण पौधे का बढ़ना रुक जाता है और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। यह कीट एक चिपचिपा पदार्थ पत्तों पर छोड़ता है, जिस पर काली फफूंद उगने से पत्ते काले आवरण से ढक जाते हैं। अत्यधिक प्रकोप होने पर कपास की पूरी फसल काली पड़ जाती है और पत्तियां जली हुई प्रतीत होती हैं।
मरोड़िया रोग फैलाने का कारण भी यही मक्खी – यह चिपचिपा पदार्थ कपास के खिले टिंडों पर गिरने से रूई भी काली और चिपचिपी हो जाती है, जिससे उसकी गुणवत्ता घट जाती है। इसके अतिरिक्त यह कीट कपास में मरोड़िया रोग भी फैलाता है। उन्होंने इस कीट की रोकथाम के लिए किसानों को एनकारशिया और एरीट मोसीरस जैसे कीटों तथा लेडी बर्ड, भृंग, क्राइसोपा जैसे पक्षियों का संरक्षण की अपील की। उन्होंने कहा कि ये सफेद मक्खी के शिशु व प्यूपा को खाते हैं।
कीटनाशकों का प्रयोग : सफेद मच्छर/मक्खी के नियंत्रण हेतु सुमीटोमो केमिकल का “लेनो” 500 ML प्रति एकड़ के हिसाब से 1500 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें। लेनो का स्प्रे करने के 5 दिन के अंदर ही आपको अपने कपास के खेत में उसका असर देखने को मिलेगा। ज्यादा अच्छे रिजल्ट के लिए लेनो के 2 स्प्रे 15 दिन के अंतराल पर करें। लेना देता है सफेद मच्छर पर सबसे अच्छा और लम्बा कण्ट्रोल और ये कपास की फसल को काली या पिली नहीं पड़ने देता और उसकी हरयाली बनाये रखता है। कपास में सफेद मच्छर क्यों इतना हानिकारक है एवं लेनो के फायदे और उपयोग के तरीके के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारी ये वीडियो जरूर देखें।
किसानों के अनुभव जानने के लिए निचे दिए गए वीडियो जरूर देखें।