कपास की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप दिखाई देने लगा है। इसके बाद से कृषि विभाग ने इसे रोकने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है। इससे निबटने के लिए किसानों को दवाओं के छिड़काव की सलाह दी जा रही है। अगर मक्खी का प्रकोप और बढ़ता है तो कपास की फसल कुछ ही दिनों में नष्ट हो जाएगी।
ऐसे करें सफेद मक्खी के प्रकोप की पहचान
सफेद मक्खी सामान्यतौर पर पर लगने वाले कीटों में से एक है। खरीफ की सभी प्रमुख फसलों पर इसका असर हो सकता है। हालांकि कपास को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। ये मक्खी बरसात के मौसम में ही पनपती है। इसका जीवन चक्र 35 से 30 दिन का होता है। मक्खी एक बार में सौ से सवा सौ तक अंडे देती है। सफेद मक्खी कपास के पौधों के पत्तों पर बैठकर लार छोड़ती है जिससे पत्ते। काले पड़ जाते हैं और उसकी बाढ़ रुक जाती है।
सफेद मक्खी कपास की फसल पर लगती है। यह कीट कपास के पत्तों की निचली तरफ से रस चूसता है और चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है, जिससे फफूंदी लग जाती है। पौधे काले पड़ जाते हैं। फूल व बौकी गिरने लग जाते हैं। इसकी पहचान सुबह-शाम आसानी से की जा सकती है। इसमें पौधे को हिलाते ही बहुत छोटे जीव दिखाई देंगे। यह तुरंत अदृश्य हो जाते हैं।
कपास में न होने दें घास
खेत में खरपतवार बिल्कुल भी न होने दें। खेत का निरंतर निरीक्षण करें। सफेद मक्खी दिखने पर कीटनाशकों का इस्तेमाल करें। दो या अधिक कीटनाशकों का मिलाकर छिड़कावन करें । यूरिया खाद का इस्तेमाल आवश्यकतानुसार ही करें। कपास के खेत में पीले ग्रीस से चिपचिपे ट्रैप लगाए।
कीटनाशकों का प्रयोग :
सफेद मच्छर/मक्खी के नियंत्रण हेतु सुमीटोमो केमिकल का “लेनो” 500 ML प्रति एकड़ के हिसाब से 1500 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें। लेनो का स्प्रे करने के 5 दिन के अंदर ही आपको अपने कपास के खेत में उसका असर देखने को मिलेगा। ज्यादा अच्छे रिजल्ट के लिए लेनो के 2 स्प्रे 15 दिन के अंतराल पर करें। लेना देता है सफेद मच्छर पर सबसे अच्छा और लम्बा कण्ट्रोल और ये कपास की फसल को काली या पिली नहीं पड़ने देता और उसकी हरयाली बनाये रखता है। कपास में सफेद मच्छर क्यों इतना हानिकारक है एवं लेनो के फायदे और उपयोग के तरीके के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारी ये वीडियो जरूर देखें।
किसानों के अनुभव जानने के लिए निचे दिए गए वीडियो जरूर देखें।